लबों पे ग़म ना कोई सवाल रखता था …

लबों पे ग़म ना कोई सवाल रखता था

कभी मैं सोंच में इतना क़माल रखता था,


ख़बर क्या थी मुझको की वो भूल जाएगा

एक एक चीज़ जो मेरी सम्भाल रखता था

 

बिछड़ते वक़्त तो नादाँ कुछ नहीं बोला

निग़ाह में मगर वो सौ – सौ सवाल रखता था

 

सुना है लोग अब उसे बहुत सताते है

मैं जिस शख्स का इतना ख़याल रखता था ….